रिश्ते
Are we what we are or how we are related to each other? We may like to live for ourself but we would rather die for relationship. Mrs Khallas has spent most of her ink in defining ever evolving nature of relationship among human beings and beyond.
रिश्ते केवल एक शब्द
या इसका भी है कोई अर्थ
जन्म के साथ जुड़ जाते हैं
उम्र के साथ बढ़ जाते हैं
कभी डगमगाते हुए
कभी संभलते हुए
हर उम्र के अलग रिश्ते
या हर रिश्ते की एक निर्धारित उम्र
कुछ सुलझे एक दायरे में कैद
कुछ उलझे से पर हर कैद से आजाद
कुछ जीवन मिथ्या से रिश्ते
कुछ मौत से सच्चे रिश्ते
कभी प्यार से प्यारे
कभी घृणा से घृणित रिश्ते
कभी सपने से रेशमी
कभी हकीकत से कटीले रिश्ते
कुछ मृग तृष्णा से लगते
तो कुछ रग रग में समाये रिश्ते
कभी पलकों के ऊपर बोझ बने
तो कभी होठों पर मुस्कराते रिश्ते
मन को बहलाने को ये बदलते रिश्ते
या शब्दों की भीड़ में
केवल एक शब्द से रिश्ते
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पता नहीं किसकी जुस्तजू में
गिरा जा रहा था चाँद
शायद जमीं के प्यार पर
निसार हो रहा था चाँद
कुछ पीला सा कुछ कटा सा
कहीं होश खो रहा था चाँद
हाथों की लकीरों को
जब मिल कर देखा
तो कुछ और पास लगा चाँद
कभी चाँद छूने की बेकार सी ललक थी
आज खुद ही फिसलता आ रहा चाँद
Poetry , Mrs Khallas, बेइमानी, यादें, रिश्ते, दर्द, माँ, सलाह, ईश्वर, जिन्दगी, उलझन