ये क्या – What
What caused Khallas to create some serious poems?
रोना तो हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है
मुस्कराना तो फिर भी एक कला है ।
एक तिहाई जमीं और दो तिहाई सागर है
जमीं शांत और सागर का कोलाहल है ।
नदियां जरूर कल कल करती हैं
जब तक धरती पर रहती हैं ।
पवन तो कलरव करता है शाखों से मिलकर
मंद मंद कभी तो कभी बेहिसाब हंसता है ।
भले ही आदि और अंत पर तेरा डेरा है
जीवन पर डालना मुस्कराहट का डेरा है ॥
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