नोंक झोंक
Enjoy two people from diametrically opposite background locked together in an argument.
हम तो चलते चलते थक गये
वो बोले displacement zero है
हम तो पसीने पसीने हो गये
वो बोले work done zero है
हम विज्ञान से और वे कला से स्नातक हैं
तभी तो हम सूत्र और वे सूत्रधारक हैं
ज्ञानी ने विज्ञानी से कहाभविश्य के लिए भूत के पीछे क्यूँ पड़े हो
ज्ञानी ने विज्ञानी से कहा
अर्थ की आड़ में अनर्थ क्यूँ करते हो
विज्ञान कि खोज में हम जितना deep जाते गये
ज्ञान से खल्लास जिन्दगी को दूर पाते गये
**********
लगता है होने लगा भरोसा अब उनपर
न चलता है अब कोई जोर जो उनपर
शाम थी, तन्हाई थी
बड़ी मेहनत कि कमाई थी
बैठ जाते हैं वो, जो सज संवर कर; सबेरे से
थक के गिर जाते हैं खल्लास घर और बाहर के थपेड़ों से
चश्मे दीद हुए वो जब, बड़े बदनसीब हुए हम तबमहफिले जाना हो रहे थे, तुरत रवाना हुए हम तब
बड़े खुलूस से फ़िज़ूल करारते हैं वो
फिर प्यार से बुला के आरती उतारते हैं वो
शाम आये तो पूरी आये
नहीं तो शामते शाम ही क्यों आये
एक खुलासा हुआ एक खुलासा किया
एक खुलासा हुआ एक खुलासा किया
एक खुलासा हुआ एक खुलासा किया
एक दुबारा हुआ एक तिबारा किया
दस्तक दी क़फ़स पर जो उनके तो ये आवाज आयी
जियो खल्लास जियो, अब यूँ ही घिस घिस के
Poetry, खल्लास, शेर Vs शमशेर, खल्लास और Motivation, खल्लास और इश्क, Mr & Mrs खल्लास – नोंक झोंक, वार्तालाप, खल्लास – यूँ ही, खल्लास – ये क्या, एक कविता का प्रयास