We celebrate this Mothers Day by creating a unique post that has contribution from all the three major writers from The Khallas Way. Do you see the same common thread in all these poems – feel free to post.
Mothers Day By Tau Ji | Abhay Johari
अपनी देह की चाक पर
कुम्हरींन की तरह
गढ़ी होगी माँ ने मेरी देह.
अपने स्पर्श से बना दिए होंगे
मेरे गुणा-कार,
और फिर डाल दी होगी अपनी शक्ति अपनी जान.
पकाया होगा मुझे अपने हृदय की गरमी से,
एक एक पल महीनो तक,
तभी तो कभी-कभी, कुछ-कुछ –
अपनी माँ जैसा हो जाता हूँ मैं –
उदार, नि:स्वार्थ, सहनशील, समर्पित और समझदार,
पर भटक गया हूँ मैं,
अंजान राहों पे आते जाते,
मुझे पूरा अपना जैसा बना दे ना माँ, जाते-जाते..
Mothers Day By Mrs Khallas | Shalini Johari
सब कहते हैं मैं तुम जैसी दिखती हूं
पर तुमसा मुझमें कुछ भी नहीं
तुम्हारे विचारों में अब भी पलती हूं
पर फिर भी मैं बढ़ती नहीं
अपने मन की सारी उड़ाने तुमने मुझे दे दीं
फिर भी जाने क्यूं मैं उड़ती नहीं
ज़िंदगी को वक्त से मिली कितनी ही राहतें
पर तुम्हारे प्यार के बिना ये थमती ही नहीं
अपने मन के सारे सुख दुःख बांट लेती हूं तुमसे
फिर भी मेरी बातें खत्म होती ही नहीं
अपनों के प्यार और आशीर्वाद से भरी हूं मैं
पर तुम्हारे आँचल के साये को भूलती नहीं
हजारों जन्मों का प्यार जब रंग लाता है
तुम्हारे सिवा कोई और सूरत उससे बनती नहीं
माँ तुम मेरी व्याख्या हो या मैं तुम्हारा सारांश
इस अजब पहेली को मैं समझती नहीं
Mothers Day By Mr Khallas | Atul Johari
मैं कहाँ
तुम ही तो हो
सारा जहां
तुम ही तो हो
क्यों ढूढूं तुम्हें
क्या बोलूं तुम्हें
एक आँसू भी
क्यों उड़ेलूँ तुम्हें
तुम ही बोलो
कहीं और
क्योँ और
कुछ और
करूँ मैं